कानपुर के शीर्ष प्रौद्योगिकी संस्थान, आईआईटी ने गंगा नदी के स्वास्थ्य एवं इकोसिस्टम की निगरानी के लिए निराकार स्वयंसमिति वेध शाला (NSVS) नामक एक प्रणाली विकसित की है। गंगा नदी के स्वास्थ्य पर पर्यायवरण के परिवर्तनों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए यह सिस्टम नदी के रीयल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन और वेब-आधारित विज़ुअलाइज़ेशन को रिकॉर्ड करेगा।
गंगा के स्वास्थ्य की निगरानी का एक व्यापक मॉडल
जैसा कि दुनिया एक क्लाइमेट इमरजेंसी की कगार पर है, भारतीय कानपुर संस्थान ने गंगा में वॉटर पोइज़निंग या अचानक बाढ़ के कारण विनाश का विश्लेषण करने और उसे रोकने के लिए एनएसवीएस प्रणाली शुरू की है। कथित तौर पर, उन्नत प्रौद्योगिकी वेधशाला का उद्घाटन बिठूर के लक्ष्मण घाट पर IIT कानपुर में अनुसंधान और विकास के डीन एआर हरीश द्वारा किया गया था।
इस नए जमाने की प्रणाली को कम लागत, बहुरूपी पैरामीटरों और जल-गुणवत्ता की निगरानी करने वाले मंच के रूप में विकसित किया गया है, जिसमें कई सेंसर और आटोमेटिक सैंपल मौजूद हैं। इसकी डिजाइन सेमि-सबमर्सिबल, हर मौसम में, मजबूत और पूरी तरह से स्थिर है, जो इसे चौबीसों घंटे निगरानी के लिए आदर्श सिस्टम बनाता है।
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर अभय करंदीकर ने कहा, “गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है बल्कि हमारे लिए एक सांस्कृतिक विरासत है, और इसलिए इसे किसी भी नुकसान से बचाने की हमारी ज़िम्मेदारी है। आईआईटी कानपुर कठोर शोध कर रहा है और गंगा के इकोसिस्टम और उस पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अध्ययन के लिए विभिन्न तंत्र विकसित कर रहा है। मैं एनएसवीएस प्रणाली के उद्घाटन के लिए प्रो. बिशाख भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली टीम को बधाई देता हूं, जो गंगा नदी की रियल टाइम निगरानी सुनिश्चित करेगा।”
एक आत्मनिर्भर निगरानी ऑब्जर्वेटरी
हर 15 मिनट में, एनवीएसवी सिस्टम स्वचालित रूप से डेटा एकत्र करता है और इसे वायरलेस नेटवर्क का उपयोग करके संस्थान तक पहुंचाता है। आत्मनिर्भरता के इरादे के साथ बनाये गए इस प्लेटफॉर्म में एक सोलर सेल ऐरे (solar cell array) और एक वोर्टेक्स इंड्यूस्ड वाइब्रेशन (VIV) प्रणाली शामिल है जो नदियों के प्रवाह से ऊर्जा प्राप्त कर सकती है। अपनी फ्लेक्सीबिलटी को बढ़ाने के लिए, आईआईटी के मंच को खुला रखा गया है; सेंसर विकसित करने वाले अन्य संस्थान इसे अपने सिस्टम में सहयोगी रूप से इंटीग्रेट कर सकते हैं। आईआईटी कानपुर ने हाल ही में गंगा एटलस परियोजना और एक ओपन-सोर्स वर्कफ़्लो लॉन्च किया है जो नदी की इमेजरी को न्यूनतम लागत पर संसाधित और विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है।