मुख्य बातें
इंदौर में गाद स्वच्छता संयंत्र में सीवेज से खाद बनाने की प्रक्रिया जल्द शुरु होगी। कबीटखेड़ी में जमीन के 23 फीट नीचे बनाए गए स्लज हाईजिनाइजेशन (hygienization) प्लांट पर मंगलवार को भाभा एटॉमिक रिसर्च केंद्र के माध्यम से रेडियोएक्टिव तत्व कोबाल्ट-60 की पहली खेप लाई गई। इसे पांच टन वजनी गोल लोहे के बाक्स में लाया गया। रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में 500 केसीआई (कोबाल्ट 60 की इकाई) पर प्लांट चलाया जाएगा। अभी 125 केसीआई कोबाल्ट 60 लाया गया है, जबकि प्लांट की क्षमता 1500 केसीआई है।
रोबोटिक आर्म की मदद से प्लांट में करेंगे इंस्टॉल
14 पेंसिल के रूप में आए इस आइसोटोप को 75 हजार लीटर पानी से भरे टैंक में रख दिया गया है, ताकि उसका रेडिएशन बाहर न आ सके। अब इसे स्लज प्लांट की ट्रे में एक-एक कर रोबोटिक आर्म के जरिए इंस्टॉल किया जाएगा। इसके बाद भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर की टीम आकर परीक्षण करेगी फिर ट्रायल शुरू हो सकेगा।
स्मार्ट सिटी सीईओ ऋषव गुप्ता ने बताया कोटा से सोर्स (कोबाल्ट-60) विशेष कंटेनर में आया। इसे सीमेंट के मोटे चैंबर में रखेंगे। इसके आसपास स्लज के एक-एक फीट के ब्रिक्स घूमेंगे। कुछ सेकंड के लिए कोबाल्ट-60 चैंबर से बाहर आएगा, विकरण से स्लज के हानिकारक वायरस मर जाएंगे। उसमें पोटेशियम, हाइड्रोजन व फास्फोरस मिलाकर खाद बनाएंगे।
स्मार्ट सिटी द्वारा 20 करोड़ रुपये की लागत से गाद स्वच्छता संयंत्र तैयार किया गया है। इसके लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च केंद्र द्वारा 5 करोड़ रुपये लागत का कोबाल्ट-60 सोर्स नि:शुल्क दिया गया है। इस प्लांट से एक दिन में 100 टन स्लज को ट्रीटकर खाद बनाने की क्षमता है।