इंदौर में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM-I) ने भारत में विभिन्न उद्योगों, कर्मचारियों और औद्योगिक प्रथाओं पर कोरोना महामारी के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एक जर्मन संस्था के साथ हाथ मिलाया है। जीआईजेड इंडिया, जर्मन फ़ेडरल मिनिस्ट्री फॉर इकनोमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट के साथ मिलकर बी-स्कूल कई विषयों पर महामारी के प्रभावों की जांच करेगा। कथित तौर पर, इसमें भारतीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों, उनके कर्मचारियों और उनकी कार्य पद्धत्तियों पर आधारित रिसर्च शामिल होंगी।
बी-स्कूल को रिसर्च और विश्लेषण के लिए मिला 83.5 लाख का ग्रांट
Delighted to share that we have joined hands with @giz_india, German Federal Ministry for Economic Cooperation and Development (BMZ) for book projects & research on #COVID19. We have also received a #research grant of Rs. 85.3 Lakhs.
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— IIM Indore (@IIM_I) May 26, 2021
रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्थान व्यापक केस स्टडी से लेकर व्यापक रिसर्च पेपर और 2 बुक प्रोजेक्ट्स तक कई परियोजनाओं में शामिल होगा। इसके आधार पर, आईआईएम इंदौर महामारी के खिलाफ औद्योगिक तैयारी को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसी उद्देश्य के लिए, संस्थान को डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल ज़ुसममेनरबीट जीएमबीएच (Deutsche Gesellschaft für Internationale Zusammenarbeit ) GmbH (जीआईजेड) से ₹83.5 लाख का रिसर्च ग्रांट भी प्राप्त हुआ है।
संस्थान के अधिकारियों ने बताया की एक मिश्रित दृष्टिकोण के ज़रिये गुणात्मक और मात्रात्मक (qualitative and quantitative methods) तरीकों सहित डेटा का अध्ययन किया जाएगा। कर्मचारियों के अनुभवों और उद्योगों के सामने आने वाली चुनौतियों के आधार पर, यह रिसर्च संभावित समाधानों को निकालने के लिए अपने निष्कर्षों का उपयोग करेगा
उल्लेखनीय है कि मौजूदा परिस्थितियों से औद्योगिक क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है और यह परियोजना समस्याओं के बेहतर समाधान खोजने में मदद करेगी। जबकि सभी देशों के स्वास्थ्य इंडेक्स को बुरी तरह से नुकसान हुआ है, लेकिन हमे यह स्वीकार करना होगा कि अर्थव्यवस्था भी एक गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्र है और यह प्रभाव निश्चित रूप से लंबी अवधि तक फैला रहेगा।