मुख्य बिंदु
1971 के युद्ध में शहीद हुए 3,843 जवानों की याद में 50 साल से जल रही इंडिया गेट के लॉन में अमर जवान ज्योति की अखंड ज्योति आज हमेशा के लिए बुझ जाएगी। गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले आज एक कार्यक्रम में अखंड ज्योति को नेशनल वॉर मेमोरियल की मशाल में मिला दिया जाएगा। इस विलय का फैसला तब लिया गया जब यह पाया गया कि दो ज्योतियों का रख-रखाव कठिन होता जा रहा है। अधिकारियों ने बताया है कि समारोह – 3.30 बजे शुरू होगा और एकीकृत रक्षा स्टाफ प्रमुख, एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण की अध्यक्षता में होगा।
निस्वार्थ समर्पण और बहादुरी का प्रतीक है अमर जवान ज्योति
इंडिया गेट के नीचे स्थित अमर जवान ज्योति दिल्ली की सबसे मशहूर जगहों में से एक है। इंडिया गेट को अंग्रेजों ने 1921 में बनवाया था, उन 84,000 सैनिकों की याद में जो पहले विश्व युद्ध और बाद में शहीद हुए। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को (भारत का 23वां गणतंत्र दिवस) अमर जवान ज्योति का उद्घाटन किया था। 2006 तक इस ज्योति को जलाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल होता था, लेकिन बाद में इसमें सीएनजी का इस्तेमाल होने लगा। यहां शहीदों के नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं। 1971 में निर्माण के बाद से हर साल गणतंत्र दिवस परेड से पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य गणमान्य हस्तियां अमर जवान ज्योति पर माल्यार्पण करती हैं।
लेकिन नेशनल वॉर मेमोरियल के अमर चक्र में भी अमर जवान ज्योति है। इंडिया गेट पर जल रही लौ का इसी में विलय किया जाना है। गणतंत्र दिवस परेड से पहले शहीदों को श्रद्धांजलि देने की परंपरा अब यहां निभायी जायेगी।
नेशनल वॉर मेमोरियल में उन सभी भारतीय रक्षा कर्मियों के नाम भी हैं, जिन्होंने विभिन्न युद्धों में अपनी जान गंवाई है – 1947-48 में पाकिस्तान के साथ युद्ध से लेकर गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष तक। करीब तीन साल पहले, 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया था। यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।